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भीष्म १०८ सोमयाग प्रकल्प


महा सोमयाग

● विश्व कल्याण ● ऋतुचक्र का संतुलन ● पंचमहाभूतों का संतुलन ● पर्यावरण और वायुमंडल की शुद्धी ● विश्व शांती ● वैश्विक संतुलन ● ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण मुक्ती ● व्यक्तिगत आरोग्य, समृद्धी और समाधान ● चारही वेदोंका - ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद के मंत्रोंका उच्चारण...
यज्ञस्थली : महाराष्ट्र-गोवा बॉर्डर के पास, गांव : पुरुषोत्तम मंदिर तेंडोली
दिनांक : 5 ते 10 फेब्रुवारी 2024 | समय : सुबह 9 से शाम 7 तक
योग और ध्यान रोज सुबह 7.30 से 8.30 तक | सांस्कृतिक कार्यक्रम शाम 7 से 8.30 तक
हररोज दोपहर महाप्रसाद भंडारा
भीष्म फाउंडेशन फॉर भारतीय नॉलेज सिस्टम वैदिक और भारतीय ज्ञान परंपराओंकी प्रत्यक्ष जीवन में उपयुक्तता तथा प्रस्तुत करने के लिए विधिक प्रकार के उपक्रम आयोजित कर रही है। उसी में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अत्यग्निष्टोम महासोमयाग का आयोजन किया गया है।
भारतीय संस्कृति, वेदिक संस्कृति, हिंदू संस्कृति यह एक मूलतः यज्ञ संस्कृति है। सर्वे भवंतु सुखिनं, विश्व कल्याण, वसुधैव कुटुंबकम यह मूल भारतीय जीवन विचार और जीवनपद्धति है। मंत्रशास्त्र एक अद्भुत ऐसा शास्त्र है, विज्ञान है। इस सोमयाग के दौरान चारही वेद - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद - इनके मंत्रों का उच्चारण तथा पठन किया जाएगा। इससे एक देवी ऊर्जा का निर्माण होता है। यह सोमयाग हमारे स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर को प्रभावित करेगा। इस यज्ञ के माध्यम से और मंत्रजागर से भौतिक विज्ञान, मनोविज्ञान और सृष्टिविज्ञान की अनुभूति होगी। साथ में भारतीय तत्वज्ञान की महानता का दर्शन होगा।
आप सभी इस महासोमयाग में प्रत्यक्ष सहभागी हो ऐसी विनम्र प्रार्थना है। आप सनीहर बनकर, कल्याणार्थी बनकर और तन, मन, धन से अपना योगदान करें ऐसी बिनती है। यज्ञ संस्कृति को पुनःजीवित करने का यह एक प्रयास है। यह एक ईश्वरी कार्य है। आज सारा विश्व अलग-अलग समस्याओं से जूझ रहा है। इस समय सनातन भारतीय हिंदू संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा ही विश्व का संरक्षण और संवर्धन कर सकती है ऐसा हमें विश्वास है।
प्रा. क्षितिज पाटुकले
अध्यक्ष - भीष्म फाउंडेशन फॉर भारतीय नॉलेज सिस्टम, पुणे
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